झुंझुनू, प्रशासनिक व्यवस्था में जिला स्तर पर जिला कलेक्टर सर्वोच्च होता है और अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश और आदेशों की पालना करनी होती है।

लेकिन झुंझुनू जिले में एक अनोखा मामला लम्बे समय से चलता आ रहा है। जिसमें झुंझुनू जिला कलेक्टर कार्यालय के बार बार आदेशों और निर्देशों पर उपखंड अधिकारी ही भारी पड़ते हुए प्रतीत हो रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पूरा मामला सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन पत्र कि गोपनीयता भंग होने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डालने के संबंध परिवाद की जांच से जुड़ा हुआ है।लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुंझुनू को सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन करके सूचना मांगी गई थी लेकिन सूचनार्थी को यह सूचना तो उपलब्ध नहीं करवाई गई बल्कि आवेदन के चंद रोज बाद ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर इसकी गोपनीयता भंग कर दी गई झुंझुनू जिला कलेक्टर खुशाल यादव को सौंपा गया। साथ ही ज्ञापन की प्रतिलिपि जिला पुलिस अधीक्षक झुंझुनू, मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर, मुख्य सूचना आयुक्त सूचना आयोग राजस्थान जयपुर, मुख्य सचिव राजस्थान सरकार जयपुर, प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली, केंद्रीय सूचना आयुक्त केंद्रीय सूचना आयोग नई दिल्ली को भी प्रेषित कर कार्यवाही करने की गुहार लगाई गई जिसके फलस्वरुप तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक झुंझुनू ने ज्ञापन पर संज्ञान लेते हुए पुलिस में कंप्लेंट दर्ज करवाई जिसकी जांच कोतवाली पुलिस झुंझुनू कर रही थी।तत्कालीन झुंझुनू जिला कलेक्टर खुशाल यादव को फिर से एक बार इसी मामले में कार्रवाई करने के लिए दोबारा ज्ञापन देकर कार्रवाई करने की मांग की गई। जिसके फलस्वरुप जिला कलेक्टर झुंझुनू द्वारा 10 /8 /2023 को जांच उपखंड अधिकारी झुंझुनू को सौंपी गई थी। इस जांच हेतु पत्रकार द्वारा जांच को आगे बढ़ाने के लिए उपखंड अधिकारी झुंझुनू के कार्यालय में काफी चक्कर लगाए गए लेकिन प्रभावशाली लोगों के चलते जांच आगे नहीं बढ़ पाई। इस प्रकार डॉ खुशाल यादव के बाद झुंझुनू जिला कलेक्टर बचनेश कुमार अग्रवाल, चिन्मयी गोपाल और वर्तमान झुंझुनू जिला कलेक्टर रामावतार मीणा को भी ज्ञापन देकर इस मामले में जांच को आगे बढ़ाने और जांच किस स्तर पर पहुंची इसकी जानकारी चाही गई। इससे पहले आपको बता दें कि तत्कालीन झुंझुनू जिला कलेक्टर बचनेश कुमार अग्रवाल द्वारा पत्रकार सैनी को पत्र भेजा गया जिसमें एक बार पुनः खंड अधिकारी झुंझुनू को इस मामले की जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए लिखा गया लेकिन फिर भी मामला ठंडा बस्ते में पड़ा रहा और इसके बाद चिन्मयी गोपाल जब झुंझुनू जिला कलेक्टर थी उनको भी ज्ञापन सौंप कर मामले से अवगत करवाया गया लेकिन जांच है कि आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। जब आईएएस रामअवतार मीणा ने झुंझुनू जिला कलेक्टर के रूप में कमान संभाली तो पत्रकार सैनी द्वारा एक बार पुनः ज्ञापन सौंप कर जांच के बारे में कार्रवाई करने की गुहार लगाई गई जिसके चलते वही पत्र के प्रसंग में यह भी अंकित किया गया है कि जिला कलेक्टर कार्यालय के आदेश क्रमांक 514 दिनांक 10/8 /2023, पत्रांक 634 दिनांक 18/ 9 /2023, पत्रांक 1199 दिनांक 20/10/2023 एवं पत्रांक 619- 20 दिनांक 12 /4/2024 के संदर्भ में उपखंड अधिकारी को पूर्व में भी जांच का स्मरण करने के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं। इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह है कि झुंझुनू के चार जिला कलेक्टर के सामने यह मामला आ चुका है लेकिन उपखंड अधिकारी द्वारा इस पर कोई भी कार्यवाही की गई है या नहीं यह भी जानकारी पत्रकार को उपलब्ध नहीं करवाई गई बल्कि तत्कालीन समय में बयान लेने के नाम पर भी चक्कर कटवा कर काफी प्रताड़ित भी किया गया था। एक बार दुबारा से जिला कलेक्टर कार्यालय द्वारा उपखण्ड अधिकारी को अविलम्ब जाँच कर कार्यालय में भेजने के लिए लिखा गया है। अब देखने वाली बात है कि इस बार कुछ बात बनेगी या फिर नतीजा वही ढाक के तीन पात रहेगा।