प्रोफेसर ब्रूनो गणित की दुनिया छोड़कर संन्यास में शामिल हो चुके हैं। वह जूना अखाड़ा के नागा संन्यासी बन चुके हैं।

फ्रांस की सारबोर्न यूनिवर्सिटी के गणित के प्रोफेसर फेड़िक ब्रूनो ने अध्यात्म की दुनिया को अपना लिया है। उन्होंने परिवार और गणित की दुनिया को छोड़कर संगम की रेती पर संन्यास धारण कर लिया है। फ्रांस के इस गणित के प्रोफेसर को जूना अखाड़े की सन्यासी की दीक्षा महाकुंभ-2025 में दी जाएगी।फ्रांस के प्रोफेसर फेड़िक ब्रूनो दशनामी परंपरा के पंच दशनाम जूना अखाड़े के नागा संन्यासी बने हैं। महाकुंभ में जूना अखाड़े की छावनी में रहकर वह कल्पवास करेंगे। जूना अखाड़े में संन्यासी बने फेड्रिक ब्रूनो सनातन संस्कृति से इस कदर प्रभावित हुए हैं कि उन्होंने घर बार छोड़ दिया है।
तीन बच्चे और पत्नी को छोड़ संन्यासी बने ब्रूनो
प्रोफेसर फेड़िक ब्रूनो के तीन बच्चे हैं। उन्होंने पत्नी और बेटे-बेटियों के भरे-पूरे परिवार की माया का परित्याग कर महाकुंभ में संन्यास ले लिया है। फ्रांस की यूनिवर्सिटी सारबोर्न के गणित के प्रोफेसर फेड्रिक ब्रूनो ने भजन और ईश्वर की भक्ति के लिए नौकरी छोड़ दी है। अब वह जूना अखाड़े में धूनी रमाकर बैठ गए हैं।
प्रोफेसर ब्रूनो से महंत ब्रूनो गिरि तक का सफर
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रूनो का कहना है कि अंकों के गुणा-भाग अब उनकी दिलचस्पी नहीं रह गई है। अब वह प्रेम और शांति चाहते हैं। जूना अखाड़े के थाना पति घनानंद गिरि को गुरु बनाने वाले प्रोफेसर ब्रूनो अब महंत ब्रूनो गिरि बन गए हैं।