देवस्थान विभाग का फैसला: बदराणा जोहड़ की भूमि जिस उद्देश्य के लिए दी गई, उसकी पालना में ट्रस्ट रहा विफल

नवलगढ़ में जोहड़ की जिस भूमि पर भरता था पशु मेला जहा अब कांटेदार तारों से कब्जा |

नवलगढ़ के बहुचर्चित बदराणा जोहड़ को लेकर देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त • जयपुर कार्यालय के पीठासीन अधिकारी महेंद्र कुमार देवतवाल ने 21 दिसंबर 2024 को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। पीठासीन अधिकारी द्वारा राजस्थान लोक न्यास अधिनियम की धारा 38 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए सुनाए गए फैसले के अनुसार बद्रीदास चौधरी (गोयनका) चेरिटेबल ट्रस्ट को जिसपुण्यार्थ उद्देश्यों के लिए बदराणा जोहड़ की जमीन, संपत्ति समर्पित की गई थी उनमें ट्रस्टविफल रहा।

दरअसल इस मामले में नवलगढ़ ● पंचायत समिति सदस्य प्रताप सिंह पूनियां पुत्र भगवान सिंह ने 17 अगस्त 2020 को देवस्थान विभाग के । सहायक आयुक्त कार्यालय जयपुर में बदराणा जोहड़ भूमि को लेकर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। फैसले में देवस्थान विभाग द्वारा प्रार्थी प्रताप सिंह पूनियां को निर्देशित किया गया है कि वह बद्रीदास चौधरी चेरिटेबल

नवलगढ, बदराणा जोहड़ की वर्तमान फोटो।

नवलगढ़ की संपत्तियों के समुचित प्रबंधन हेतु उचित निर्देश प्राप्त करने के लिए जिला न्यायालय झुंझुनूं में अधिनियम की धारा 40 के तहत 30 दिवस के भीतर प्रार्थना प्रस्तुत करें।

इनका कहना है-देवस्थान विभाग ने कानूनी प्रक्रिया की पालना करते हुए बद्रीदास चौधरी (गोयनका) चेरिटेबल ट्रस्ट को दोषी माना और गोमाता, किसानों व पशुपालकों के हित में फैसला सुनाया। बदराणा जोहड़ की भूमि को स्थाई रूप से बेसहारा गोवंश, अन्य पशु पक्षियों व पशुपालकों के हित में पुनः जोहड़ के रूप में सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करवाना मेरा महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं।विक्रम सिंह जाखल, विधायक, नवलगढ़ बदराणा जोहड़ की भूमि को प्रभावशाली तरीके से उठाने के लिए नवलगढ़ में जोहड़ की जिस भूमि पर भरता था पशु मेला वहां अब कांटेदार तारों से कब्जा ” नामक शीर्षक से 1 जनवरी 2024 को खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद इस मामले में नवलगढ़ विधायक विक्रम सिंह जाखल, वर्ष 2020 से प्रयासरत किसानों और पशुपालकों के हितार्थ छोड़ी गई सांस्कृतिक धरोहर बदराणा जोहड़ की भूमि के लिए हमारी लड़ाई पिछले 5 वर्षों से लगातार जारी थी। जिस पर देवस्थान विभाग ने नवलगढ़ की जनता के पक्ष में फैसला दिया है तथा ट्रस्टियों की कार्यशैली को ट्रस्ट की संपति को खुर्द बुर्द करने की श्रेणी में माना है। इस लड़ाई में साथ देने वाले संघर्ष के साथियों का आभार।

प्रताप पूनियां, संयोजक बदराणा जोहड़ बचाओ संघर्ष समिति व पंचायत समि सदस्य नवलगढ़
पंचायत समिति सदस्य प्रताप पूनियां सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से संज्ञान लिया और दर्जनों
बार स्थानीय अधिकारियों से लेकर प्रदेश स्तर के मंत्रियों व अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे।

देवस्थान विभाग द्वारा निरीक्षक भेजकर मौका रिपोर्ट बनवाई गई। निरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार इस ट्रस्ट के पंजीयन के समय 225 बीघा जमीन अलमशहूर जोहड़ा बदराणा, लाल कुआं मय कृष्ण मंदिर, नोहरा व श्मशान भूमि, दयालजी की बगीची, कावडियों की बगीची, पक्का तिबारा व कमरे आदि अचल संपत्ति थे। निरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार बदराणा जोहड़ की भूमि पर दीगर व्यक्तियों ने अतिक्रमण कर लिया है। जिसके • खिलाफ ट्रस्ट ने कोई कार्यवाहीं नहीं की। इससे स्पष्ट होता है कि न्यास द्वारा संपदा का प्रबंधन समुचित रूप से नहीं किया जा रहा है। जिस पुण्यार्थ उद्देश्यों के लिए यह संपत्ति न्यिास को समर्पित की गई उनमें न्यास विफल हो गया।

मौका निरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार बदराणा जोहड़ की भूमि पर उगे पेड़ों व उससे होने वाली आय पशुओं के चारा पानी व आमजन के उपयोग के लिए ली जाएगी। न्यास विधान के अनुसार ट्रस्ट के उद्देश्य गरीबों को शिक्षा, चिकित्सा सहायता उपलब्ध करवाना तथा पशुओं के लिए जोहड़ संधारित करना व पशुओं के चरने के लिए मैदान उपलब्ध कराना है।

  • प्रताप पूनियां द्वारा 17 अगस्त 2020 को ट्रस्ट पर लगाए गए आरोपों के बाद देवस्थान विभाग के नोटिस का बद्रीदास चौधरी चेरिटेबल ट्रस्ट के प्रन्यासियों ने 14 महीने बाद 4 दिसंबर 2021 को जवाब पेश किया।
  • ट्रस्ट के विधान में देवस्थान विभाग से अनुमति लेकर ही बदलाव किया जा सकता है। लेकिन बद्रीदास चौधरी चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने बिना अनुमति बदलाव किया।

ट्रस्ट की संपत्ति बेचान के लिए देवस्थान विभाग की अनुमति आवश्यक है। लेकिन ट्रस्ट ने 23 अगस्त 2011 को पूरक ट्रस्ट डीड बनाकर नए ट्रस्टी बनाए और मात्र 6 दिन बाद ही 29 अगस्त 2011 को देवस्थान विभाग की अनुमति के बिना ही बदराणा की भूमि में से 0.77 हैक्टेयर भूमि का विक्रय कर दिया।

  • ट्रस्टकी भूमि का बेचान वर्ष 2011 में किया गया जबकि 10 वर्ष बाद असेसमेंट वर्ष 2021-2022 की आयकर विवरणिका व नए ट्रस्टियों की सूची देवस्थान विभाग में प्रस्तुत की गई।
  • ट्रस्टियों को साक्ष्य दर्ज करवाने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाने के बाद भी साक्ष्य दर्ज नहीं करवाए गए।

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