सीकर सरकार की ओर से अभी पल्स पोलियो अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है, लेकिन दो साल की उम्र तक के बच्चों के टीकाकरण में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रतिष्ठित संस्थान ग्लोबल अलायंस ऑफ वैक्सीन्स एंड इम्युनाइजेशन (गावी) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में सीकर जिले के 25278 में से 7276 बच्चों को एक भी टीका नहीं लगाया गया।

2 साल तक की उम्र में बच्चे को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए 11 टीके लगाए जाते हैं। टीकाकरण नहीं होने से बच्चों में खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया जैसी जानलेवा बीमारियों के होने की आशंका बढ़ गई है। गावी की रिपोर्ट के बाद ने मामले में पड़ताल की। सामने आया कि जन्म से लेकर शिशु के दो वर्ष का होने तक 11 बीमारियों से बचाव के लिए 10 टीकों की पहली खुराक दी जाती है। जिले में टीकाकरण को लेकर स्थिति गंभीर बनी हुई है। सीकर जिले का नाम प्रदेश के उन 16 जिलों में शामिल है,
जहां जन्म से 2 साल तक के बच्चों को टीके की एक भी डोज नहीं लगी है। वर्ष 2023-24 में सीकर और नीमकाथाना को मिलाकर यह संख्या 10253 है। गावी की रिपोर्ट के अनुसार कोविड के बाद से प्रदेश में बच्चों के टीकाकरण की रफ्तार धीमी हो गई है। जीरो डोजर लिस्ट में देश के 143 जिले शामिल हैं। जिला टास्क फोर्स की बैठक में शहर को वर्ष 2026 तक खसरा और रूबेला मुक्त करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन टीकाकरण की ऐसी खराब हालत को देखते हुए इस लक्ष्य को हासिल करना असंभव दिखता है। जिले के एसएमओ डॉ. अंकुर सांगवान ने बताया कि जिले के 8 ब्लॉक्स में से 202 हाई रिस्क एरिया चिह्नित किए गए हैं। इनमें भोपा व बंजारा