‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान करता है, मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा।

संसद के शीतकालीन सत्र के बीच आज मोदी सरकार सदन के पटल पर वन नेशन, वन इलेक्शन का बिल रख सकती है, इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष बंटी हुई नजर आ रही है, लिहाजा ऐसे में सत्र बेहद हंगामेदार रहने के आसार है। पिछले दिनों मोदी कैबिनेट की ओर से भी इस बिल को मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि, इस मुद्दे पर विपक्ष भी बंटा हुआ नजर आ रहा है।
कांग्रेस ने बताया संविधान के मूल ढांचे पर हमला
कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने मंगलवार को लोकसभा में एक साथ चुनाव कराने से संबंधित विधेयक का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है तथा देश को ‘तानाशाही’ की तरफ ले जाने वाला कदम है।
टीडीपी ने किया समर्थन
टीडीपी ने आज लोकसभा में पेश किए गए एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक को अपना अटूट समर्थन देते हुए कहा कि इससे पूरे देश में चुनाव प्रक्रिया सुचारू हो जाएगी। इस बीच, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक देश की सभी क्षेत्रीय पार्टियों को अकेले ही खत्म कर देगा और इसे केवल “सर्वोच्च नेता के अहंकार को संतुष्ट करने” के लिए पेश किया जा रहा है।
विचार-विमर्श के लिए भेजने की संभावना
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आज दोपहर संविधान (129वां संशोधन) विधेयक पेश करने के लिए उठे। सूत्रों ने बताया है कि विधेयक को आगे के विचार-विमर्श के लिए संयुक्त समिति को भेजे जाने की संभावना है। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते, भाजपा गठित होने वाली समिति की अध्यक्षता करेगी और उसे अधिकतम सीटें भी मिलेंगी। समिति के सदस्यों की घोषणा दिन के अंत तक की जाएगी। प्रारंभिक कार्यकाल 90 दिन का होगा, लेकिन इसे बढ़ाया जा सकता है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया।
कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का उपयोग करके विधानसभा को भंग किया
दिल्ली: ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ देश के प्रगति के लिए है। 5 साल में एक बार चुनाव होगा। पहले भी ऐसे ही था। 1952 से पहले बहुत दशकों तक चुनाव ऐसे ही होते थे। कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का उपयोग करके विधानसभा को भंग किया..इस पर बात करें लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है।”
मनीष तिवारी ने कहा, ये बिल पूरी तरह संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ
दिल्ली: ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “ये संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है। संविधान की जो मूलभूत भावना है कि हमारा जो संघीय ढांचा है वो संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य बराबर के हिस्सेदार हैं ये बिल पूरी तरह से इसके खिलाफ है इसलिए हम शुरू से इसका विरोध करते आ रहे हैं।”
दिल्ली:’वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पर पूरे विपक्ष को एक साथ होना चाहिए इसलिए एक साथ होना चाहिए क्योंकि ये कोई नई बिल नहीं लाई जा रही है। 1966 तक हम ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ में ही चल रहे थे कांग्रेस ने कसम खा ली है कि पीएम नरेंद्र मोदी के हर पहल को विरोध करेंगे। तो कुछ कहा नहीं जा सकता है… ये ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ देश, विकास के लिए है पूरी जनता चाहती है तो विपक्ष को साथ देना चाहिए और एक मत से पास करना चाहिए’
दिल्ली: वन नेशन वन इलेक्शन पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “यह भारत के संविधान और नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर एक हमला है जिसका पुरजोर विरोध कांग्रेस पार्टा और INDIA गठबंधन करेगा। यह बिल भाजपा की मंशा व्यक्त करता है कि वो किस प्रकार से भारत के चुनाव की निष्पक्षता को छिनने की कोशिश कर रहे हैं…भारत में निष्पक्ष चुनाव की हमारी मांग है…”
समिति ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसने पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने और आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) कराने की सिफारिश की थी। साथ ही इसमें कहा गया है कि सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट में इन सिफारिशों को रेखांकित किया गया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दी थी। भाजपा और उसके सहयोगी दल जहां इस विधेयक के समर्थन में हैं, वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके समेत कई विपक्षी दल इसके विरोध में हैं।
मेघवाल कल केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक भी पेश कर सकते हैं। यह विधेयक एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभाओं के चुनावों को संरेखित करने का प्रयास करता है।
अर्जुन मेघवाल करेंगे पेश
मंगलवार को लोकसभा के सूचीबद्ध एजेंडे में एक साथ चुनाव कराने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक शामिल है। संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल द्वारा पेश किया जाएगा।